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चीनी और गेहूं की कीमत में आई कमी से आमजन में खुशी की लहर

चीनी और गेहूं की कीमत में आई कमी से आमजन में खुशी की लहर

इस वर्ष होली से पूर्व आटे का भाव 40 से 45 रुपये किलो हो गया था। इससे आम जनता का बजट खराब हो गया है। ऐसी स्थिति में FCI द्वारा खुदरा मार्केट में भावों को काबू करने हेतु 45 लाख टन गेहूं विक्रय का निर्णय लिया गया है। आम जनता के लिए राहत भरी खबर है। गेहूं एवं चीनी के भावों में कमी दर्ज की गई है। इससे खुदरा बाजार में भी इन खाद्य उत्पादों के भावों में गिरावट देखने को मिली है। मीडिया खबरों के अनुसार, होली के समय मांग में वृद्धि होने से गेहूं, चीनी एवं गेहूं से निर्मित उत्पादों के भाव में 10-13 प्रतिशत की कमी आई है। इस वक्त गेहूं का औसत मूल्य तकरीबन 30 रुपये प्रति किलो है। साथ ही, चीनी लगभग 41 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है। हालांकि, भाव में उपस्थित कमी के उपरांत भी विगत वर्ष की तुलना में भाव आज भी अधिक हैं। कीमतों में गिरावट से फूड इंफ्लेशन मतलब कि खाद्य महंगाई पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी। असलियत मे इस वर्ष जनवरी के उपरांत गेहूं एवं आटे के भाव बहुत बार बढ़े हैं। इससे गेहूं के साथ- साथ आटा भी महंगा हुआ है। ऐसे में बढ़ते भावों पर रोक लगाने हेतु FCI को खुले बाजार में गेहूं बेचना पड़ा है। FCI अब तक लाखों टन गेहूं नीलामी के जरिए से विक्रय कर चुका है। इसी कड़ी में विशेषज्ञों ने बताया है, कि FCI के इस कदम से भी भावों में कमी दर्ज की गई है।

एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद की शुरुआत

बतादें कि इस वर्ष होली से पूर्व आटे का भाव 40 से 45 रुपये किलो हो गया था। इससे आमजन मानस का घरेलु बजट डगमगा गया है। ऐसी स्थिति में FCI द्वारा खुदरा मार्केट में भावों को काबू करने हेतु 45 लाख टन गेहूं विक्रय करने का फैसला लिया गया। आज तक खुला बाजार बिक्री योजना के अंतर्गत पांच ई-नीलामी में 28.86 लाख टन गेहूं विक्रय किया जा चुका है। अब 6वीं ई- नीलामी 15 मार्च को होगी। इसके उपरांत गेहूं के खुदरा भाव में और कमी आ सकती है। जानकारी के अनुसार, अगले माह एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद आरंभ होने वाली है। यह भी पढ़ें: सरकार आटा सस्ता करने की पहल कर रही है, अब तक 8 प्रदेशों में इतने लाख मीट्रिक टन बिका गेंहू

फिलहाल आटे के भाव में कितना सुधार आया है

हम आपको बतादें कि प्रथम ई-नीलामी के समय 9.13 लाख टन गेहूं विक्रय किया गया था। तब 2474 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खुले बाजार में गेहूं विक्रय किया गया था। साथ ही, दूसरी नीलामी के समय गेहूं का भाव कम हो गया। तब 2338 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से एफसीआई द्वारा 3.83 लाख टन गेहूं बिका था। इसी प्रकार तीसरी नीलामी में 2173 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से 5.07 लाख टन गेहूं विक्रय किया गया। इसी क्रम में पांचवी नीलामी में 5.40 लाख टन गेहूं 2193.82 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेचा गया। इस प्रकार हम कह सकते हैं, कि प्रत्येक नीलामी में गेहूं के भावों में कमी दर्ज की गई है। यही कारण है, कि फिलहाल गेहूं के भाव में सुधार देखने को मिला है। फिलहाल, आटा 32 से 35 रुपये किलो हो गया है।
इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

आजकल सब्जी, मसाले और अनाजों की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। विगत वर्ष लहसुन का अच्छा-खासा उत्पादन हुआ था। इसकी वजह से होलसेल मार्केट में इसकी काफी कीमत गिर गई। ऐसी स्थिति में किसान फसल पर किया गया खर्चा तक भी नहीं निकाल पाए। भारत में महंगाई बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर की भाँति वर्तमान में भी लहसुन का भाव 170 रुपये किलो के पार ही है। बहुत सारे शहरों में तो इसकी कीमत 180 रुपये किलो के आसपास पहुंच चुकी है। पटना में अभी एक किलो लहसुन का भाव 172 रुपये है। साथ ही, कोलकता में यह 178 रुपये किलो बिक्रय किया रहा है। जबकि, तीन से चार महीने पहले यह बेहद सस्ता था। मार्च महीने तक रिटेल बाजार में यह 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा था। परंतु, मानसून के दस्तक देने के साथ ही इसके दाम भी महंगे हो गए।

उत्तर प्रदेश इतने प्रतिशत लहसुन की पैदावार करता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश के पश्चात राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती होती है। ये तीनों राज्य मिलकर 85 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करते हैं। राजस्थान 16.81 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करता है, जबकि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 6.57 फीसद है।

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मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है

लहसुन के व्यापारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है। यहां का मौसम एवं मिट्टी लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल उत्पादित लहसुन में मध्य प्रदेश की भागीदारी 62.85 प्रतिशत है। परंतु, पिछले साल समुचित भाव न मिलने की वजह से लहसुन उत्पादक किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा। बहुत सारे किसान कर्ज में डूब गए है। ऐसी स्थिति में किसानों ने इस वर्ष लहसुन की खेती करना कम किया, जिससे तकरीबन 50 प्रतिशत लहसुन का रकबा कम हो गया। ऐसी स्थिति में मांग के हिसाब से बाजार में लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह से अचानक कीमतें बढ़ गईं।

मध्य प्रदेश अन्य राज्यों में भी लहसुन की आपूर्ति करता है

बतादें कि संपूर्ण भारत में मध्य प्रदेश से लहसुन की सप्लाई होती है। यहां से दक्षिण भारत, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में लहसुन की सप्लाई की जाती है। नतीजतन, मध्य प्रदेश की मंडियों में लहुसन महंगे होने की वजह से दूसरे राज्यों में भी इसकी कीमतें बढ़ गईं। साथ ही, रतलाम जनपद के लहसुन उत्पादकों का कहना है, कि किसानों ने विगत वर्ष हुई हानि की वजह से लहसुन की खेती आधी कर दी थी। परंतु, इस बार की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पुनः रकबे में इजाफा करेंगे। ऐसे में आशा है, कि लहसुन की नवीन फसल आने के बाद कीमतों गिरावट शुरू हो जाएगी।
केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर कहा है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की बिक्री चालू हो गई है। मानसून की दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में जो इजाफा चालू हुआ था। वह कम होने का नाम भी नहीं ले रही है बल्कि इसकी कीमतों में और बढ़ोत्तरी भी होती जा रही है। महंगाई का मामला यह है, कि सोमवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के सभी प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर के बढ़ते दाम पर रोक लगाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। अब लोग कम भाव पर टमाटर खरीद पाएंगे।

सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों को रोकने की बनाई योजना

मानसून के दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में इजाफा शुरू हुआ था, जो कि कम होने का नाम भी नहीं ले रहा है। इसकी कीमत में और बढ़ोत्तरी ही होती जा रही है। महंगाई का आलम यह है, कि शनिवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के समस्त प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण बनाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। फिलहाल, लोग कम कीमत पर टमाटर खरीद सकेंगे। ये भी पढ़े: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने आम जनता को महंगाई से निजात दिलाने हेतु स्वयं टमाटर बेचने का निर्णय किया है। केंद्र सरकार दिल्ली-एनसीआर, पटना और लखनऊ समेत भारत के प्रमुख शहरों में 90 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बेचेगी। हालांकि, अभी दिल्ली- एनसीआर में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ मोबाइल वैन माध्यम से टमाटर बेच रहे हैं। नोएडा, दिल्ली और ग्रेटर नोएडा में विभिन्न स्थानों पर महासंघ के द्वारा टमाटर बेचे जा रहे हैं।

मदर डेयरी से संपर्क चल रहा है

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर बताया है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की विक्री चालू हो चुकी है। उन्होंने बताया है, कि एनसीसीएफ कल से दिल्ली में तकरीबन 100 स्थानों पर अपने आउटलेट के जरिए टमाटर बेचना चालू कर देगा। विशेष बात यह है, कि एनसीसीएफ आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत 400 स्थानों पर मदर डेयरी के साथ मिलकर टमाटर बेचेगा। इसके लिए मदर डेयरी के साथ बातचीत चल रही है। ये भी पढ़े: टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

महाराष्ट्र में टमाटर 150 रुपए किलोग्राम बिका

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर आज टमाटर का औसत भाव 117 रुपये प्रति किलो रहा है। वहीं, अधिकतम भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम भाव 25 रुपये प्रति किलोग्राम था। साथ ही, टमाटर का मॉडल प्राइस 100 रुपये प्रति किलोग्राम है। अगर बात भारत के प्रमुख महानगरों की करें तो आज दिल्ली में टमाटर का भाव 178 रुपये किलो, मुंबई में 150 रुपये किलो और चेन्नई में 132 रुपये किलो था। लेकिन, सबसे अधिक महंगा टमाटर उत्तर प्रदेश के हापुड़ में बिका था। यहां पर लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 250 रुपये खर्च करने पड़े। वैसे भी मानसून आने के पश्चात टमाटर की कीमत में बढ़ोत्तरी हो जाती है। जुलाई से नवंबर माह के दौरान इसका भाव काफी अधिक ही रहता है।
केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा भारत की जनता को सहूलियत प्रदान करने के लिए विगत सप्ताह एक निर्णय लिया गया। वर्तमान में इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका के सुपरमार्केट्स में दिखना चालू हो चुका है। 

केंद्र सरकार ने चावल की कीमतों में आ रहे उछाल पर रोक लगाने के उद्देश्य से विगत सप्ताह नॉन बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। अब सरकार के इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका में दिखना चालू हो गया। 

दरअसल, चावल निर्यात प्रतिबंधित होने से विश्वभर के बहुत सारे देशों में किल्लत उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा इनकी कीमतें भी बढ़ जाऐंगी। 

ऐसी स्थिति में अमेरिका के लोग चावल खरीदने के लिए सुपरमार्केट्स के बाहर कतार लगाकर खड़े हो रहे हैं। अमेरिका के सुपरमार्केट में चावल खरीदने के लिए भीड़ जुट रही है। 

भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश माना जाता है। वर्तमान में भारत सरकार ने देश के अंदर चावल की कीमतें कम करने के लिए यह फैसला लिया है। अब इस फैसले का असर अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में देखने को मिल सकता है।

भारत सबसे ज्यादा इन देशों में चावल का निर्यात करता है

भारत नॉन बासमती चावल का निर्यात बहुत सारे देशों में करता है। इनमें अमेरिका के अतिरिक्त नेपाल, फिलीपींस और कैमरुन जैसे देश भी शम्मिलित हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की आधी जनसंख्या का मुख्य भोजन चावल को ही माना जाता है। वर्तमान में सामान्य बात यह है, कि एक्सपोर्ट न होने की स्थिति में इन देशों में चावल की कमी होगी। माँग एवं आपूर्ति के खेल के चक्कर में इनके भाव बढ़ने निश्चित हैं।

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भारत ने नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा रखा है

अमेरिका में काफी बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं। विगत सप्ताह में भारत ने जब नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया था, तो अमेरिका के सुपरमार्केट्स में चावल की कमी दर्ज हो गई थी। 

रअसल, लोग अधिक से अधिक मात्रा में चावल खरीदने के लिए काफी ज्यादा भीड़ लगा रहे हैं। यह बहुत ही आम बात है, कि जब विश्व का सबसे ज्यादा राइस एक्सपोर्टर देश चावल के निर्यात को रोक देगा तो मांग और आपूर्ति निश्चित रूप से प्रभावित होगी। इससे चावल की विदेशो में कीमतें काफी बढ़ जाऐंगी।

अमेरिका में किस वजह से मचा हड़कंप

अमेरिका के अंदर काफी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं। पिछले हफ्ते भारत सरकार ने जब ये फैसला किया तो अमेरिकी की कुछ जगहों पर नॉन बासमती चावल की आपूर्ति में कमी आने लगी। 

लिहाजा लोग ज्यादा से ज्यादा चावल खरीदने के लिए अमेरिका के सुपरमार्केट्स पर भीड़ लगाने लग रह हैं। इन्हें पता है, कि अब चावल की कीमतें अभी और बढ़ जाऐंगी। यहां के सुपरमार्केट्स में लोगों के मध्य चावल खरीदने की होड़ सी लग चुकी है।

भारत सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है

भारत में बीते कुछ दिनों से टमाटर, अदरक जैसी सब्जियों की कीमतों में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। टमाटर और सब्जियों के उपरांत चावल के भाव भी निरंतर बढना चालू हो गए हैं। 

विशेष रूप से नॉन बासमती चावल के भाव में 10 से 18 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ऐसे में सरकार ने यह निर्धारित किया है, कि इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाए जिससे कि कीमतों में और इजाफा ना हो सके।

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जैसा कि हम जानते हैं, कि चरम सीमा पर महंगाई होने की वजह से आम जनता की रसोई का बजट खराब हो गया है। टमाटर और हरी सब्जियों के उपरांत फिलहाल मसालों ने भी लोगों की परेशानियां बढ़ाना शुरू कर दिया है। इनकी कीमतों में कई गुना इजाफा दर्ज किया गया है। बारिश के चलते देश में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। इससे आम जनता के साथ- साथ खास लोगों के किचन का भी बजट डगमगा चुका है। हरी सब्जियों के पश्चात यदि किसी खाद्य पदार्थ की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़वार हुई है, तो वो हैं मसालें। पिछले एक महीने में मसालों के भाव में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष बात यह है, कि विगत 15 दिन में ही कुछ मसालों की कीमत में दोगुनी वृद्धि हुई है। इससे प्रत्येक वर्ग की जेब पर बोझ बढ़ गया है।

दूध, मसाले, हरी सब्जियों सहित कई सारे खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ी हैं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बारिश की वजह से केवल हरी सब्जियां ही नहीं बल्कि दूध, मसाले और अन्य खाद्य उत्पाद की कीमतें भी बढ़ गई हैं। महंगाई का आंकलन इस बात से किया जा सकता है, कि जो जीरा थोक भाव में विगत वर्ष 300 रुपये किलो था, अब उसकी कीमत 700 रुपये से भी ज्यादा हो गई है। साथ ही, खुदरा बाजार में यह 1000 रुपये लेकर 1200 रुपये किलो बिक रहा है। इससे ग्राहक के साथ-साथ व्यापारी भी चिंता में आ गए हैं।

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लाल मिर्च की कीमतों में दोगुना उछाल

इसी संदर्भ में व्यापारियों का कहना है, कि जीरा इतना ज्यादा महंगा हो जाएगा, उन्हें ऐसी कभी आशंका ही नहीं थी। साथ ही, कृषि विशेषज्ञ की माने तो इस वर्ष फरवरी और मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश ने जीरे की फसल को काफी ज्यादा प्रभावित किया है। यही वजह है, कि 2 महीने की समयावधि में जीरा बहुत ज्यादा महंगा हो गया। परंतु, मानसून के आगमन के पश्चात अचानक दूसरे मसाले भी महंगे हो गए। विशेष कर हल्दी एवं लाल मिर्च की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ गई है।

मसालों की कीमत में एक वर्ष दौरान कितना उछाल आया (मसालों की कीमत किलो में है)

मसाले बीते वर्ष का रेट होलसेल रेट रिटेल प्राइस
जीरा ₹300 ₹700 ₹1000-1200
हल्दी ₹80-90 ₹160 ₹300
लाल मिर्च ₹110-120 ₹260 ₹400
लौंग ₹600 ₹1100 ₹1500-1800
दालचीन ₹500  ₹700 ₹1100-1400
सौंठ ₹130 ₹500 ₹700-800